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Showing posts from March, 2018

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ईवीएम का विकास

                                    ईवीएम  वोटिंग मशीन भूमिका स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव किसी भी देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए महत्‍वपूर्ण होते हैं। इसमें निष्पक्ष, सटीक तथा पारदर्शी निर्वाचन प्रक्रिया में ऐसे परिणाम शामिल हैं जिनकी पुष्टि स्वतंत्र रूप से की जा सकती है। परम्परागत मतदान प्रणाली इन लक्ष्य में से अनेक पूरा करती है। लेकिन फर्जी मतदान तथा मतदान केन्द्र पर कब्जा जैसा दोष पूर्ण व्यवहार निर्वाची लोकतंत्र भावना के लिए गंभीर खतरे हैं। इस तरह भारत का निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार का प्रयास करता रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रतिष्ठानों भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड, बंगलौर तथा इलेक्ट्रानिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के सहयोग से भारत निर्वाचन आयोग ने ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) की खोज तथा डिजायनिंग की। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल भारत में आम चुनाव तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव में आंशिक रूप से 1999 में शुरू हुआ तथा 2004 से इसका पूर्ण इस्तेमाल हो रहा है। ईवीए

इलेक्ट्रॉनिकी एंव सूचना और अवयव का बढ़ता विकास

                                                     बढ़ता  विकास  उपकरण और सामग्री, इलेक्ट्रॉनिकी एंव सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की रीढ़ हैं। इलेक्ट्रॉनिक सामग्री डिजाइन, इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माण के विकास में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हार्डवेयर का महत्वपुर्ण अंग हैं। जिसका उपयोग सेल फोन, आइपॉड, पाम टॉप/लैपटॉप कंप्यूटर, पोर्टेबल टेस्ट, अन्य संचार उपकरणों और प्रतिस्पर्धा गैजेट आदि आधुनिक उपकरणों के विकास के लिए किया जाता है। इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर नई प्रौद्योगिकी सामग्री और संबद्ध प्रक्रिया प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए प्रयोगों से प्रेरित हैं। फोटोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ प्रकाश की विलय अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, सृजन और प्रकाश और क्वांटम इकाई फोटॉन दीप्तिमान ऊर्जा के अन्य रूपों के दोहन के लिए आवश्यक है।  फोटोनिक्स तकनीक का उपयोग अनुप्रयोग, सूचना संचार प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा, जीवन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, सहित हर क्षेत्र में किया जाता है और वर्ल्ड वाइड वेब, सीडी, होलोग्राम, लेजर, आदि के लिए यह तकनीकी रीढ़ की हड्डी है। सतत विकास की द

इलेक्ट्रॉनिक अवयव और पार्टिकल्स

                                                    पार्टिकल्स अवयव  जिन विभिन्न अवयवों का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक परिपथ (जैसे- आसिलेटर, प्रवर्धक, पॉवर सप्लाई आदि) बनाये जाते हैं उन्हें इलेक्ट्रॉनिक अवयव (electronic component) कहते हैं इलेक्ट्रॉनिक अवयव दो सिरे वाले, तीन सिरों वाले या इससे अधिक सिरों वाले होते हैं जिन्हें सोल्डर करके या किसी अन्य विधि से (जैसे स्क्रू से कसकर) परिपथ में जोड़ा जाता है। प्रतिरोधक, प्रेरकत्व, संधारित्र, डायोड, ट्रांजिस्टर (या बीजेटी), मॉसफेट, आईजीबीटी, एससीआर, प्रकाश उत्सर्जक डायोड, आपरेशनल एम्प्लिफायर एवं अन्य एकीकृत परिपथ आदि प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक अवयव हैं। वर्गीकरण इलेक्ट्रॉनिक अवयव दो प्रकार के होते हैं- निष्क्रिय अवयव (पैसिव एलिमेन्ट्स)- वे अवयव जिनको कार्य करने के लिये किसी बाहरी उर्जा स्रोत की आवश्यकता नहीं पड़ती; न ही इनका चालकता आदि का गुण किसी अन्य वोल्टता या धारा से नियंत्रित होती है। उदाहरण: प्रतिरोधक, संधारित्र,आदि सक्रिय अवयव (ऐक्टिव अवयव)- इन अवयवों की चालकता आदि अन्य धारा या विभव के मान से नियन्त्रित होता है। ये क

रेफिजरेटर की कुछ घरेलु उपयोग

                                                        घरेलु उपयोग  प्रशीतित्र (रेफ्रिजरेटर या फ्रिज) एक घरेलू उपयोग की युक्ति है जो सब्जी तथा खाद्य पदार्थों आदि को ठण्डा बनाये रखकर उनको जल्दी खराब होने से बचाता है। परिचय घरेलू उपयोग के लिये थोड़ी मात्रा में खाद्य पदार्थो को ठंड़ा रखने के निमित्त १९१७ ई. से ही प्रशीतित्रों का व्यावसायिक रीति से निर्माण आरंभ हुआ और १९२५ ई. से तो वे सर्वसाधारण के लिये भी सुलभ हो गए। आरंभ में तो गैसचालित यंत्र ही बनाए गए, लेकिन अब कुछ वर्षो से विद्युतशक्ति चालित प्रशीतित्र (refrigerators) सर्वप्रिय हो गये हैं।  आजकल सब प्रकार के प्रशीतित्रों की अलमारियाँ देखने में एक सी ही लगती हैं। इनके भीतर पोर्सिलेन की परत और बाहर की तरफ गाढ़ा प्रलाक्षारस लेप लगा होता है। भिन्न भिन्न माडलों की कीमत के अनुसार प्रशीतित्र की दीवारों में लगा ऊष्मारोधक (heat insulaor) २ से ४ इंच तक मोटा होता है। ऊष्मारोधक जितना ही अधिक मोटा होगा उतना ही अधिक प्रभावकारी रहेगा, क्योंकि अधिकतर वायुमंडल की गरमी, दीवारों में से होकर ही भोजनपात्रों में, प्रविष्ट होती है।  प्रत