Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2018

जाने कार के बारे में

digital camera aisa le

  अच्छा  डिजिटल कैमरा  डिजिटल कैमरे, वे सभी काम कर सकते हैं जो फ़िल्म कैमरे नहीं कर पाते हैं: रिकॉर्ड करने के तुरंत बाद स्क्रीन  पर इमेजों को प्रदर्शित करना, एक छोटे-से मेमोरी उपकरण में हज़ारों चित्रों का भंडारण करना, ध्वनि के साथ वीडियो की रिकॉर्डिंग करना और संग्रहण स्थान को खाली करने के लिए चित्रों को मिटा देना. कुछ डिजिटल कैमरे तस्वीरों में कांट-छांट कर सकते हैं और चित्रों का प्रारंभिक संपादन भी कर सकते हैं। मूल रूप से वे फ़िल्म कैमरे की तरह ही संचालित होते हैं और आम तौर पर चित्र लेने वाले एक उपकरण पर प्रकाश को केंद्रित करने के लिए एक वेरिएबल डायाफ्राम वाले लेंस का प्रयोग होता है। ठीक फ़िल्म कैमरे की तरह इसमें भी इमेजर में प्रकाश की सही मात्रा की प्रविष्टि करने के लिए डायाफ्राम और एक शटर क्रियावली के संयोजन का प्रयोग किया जाता है; एकमात्र अंतर यही है कि इसमें प्रयुक्त चित्र लेने वाले उपकरण, रासायनिक होने के बजाय इलेक्ट्रॉनिक होता है। PDA और मोबाइल फोन (कैमरा फोन) से लेकर वाहनों तक की श्रेणी के कई उपकरणों में डिजिटल कैमरों को समाहित किया जाता है। हबल स्

best home made camera

होम मेड कैमरा  क्‍या हम सभी फंक्‍शन प्रयोग करते हैं डिजिटल कैमरे में डीएसएलआर कैमरों के मुकाबले कम फीचर होते हैं लेकिन डिजिटल कैमरे से कोई भी आसानी से फोटो खींच सकता है जबकि अगर आपको डीएसएलआर कैमरे में दिए गए फीचरों को एडजस्‍ट करना या उन्‍हें प्रयोग करना नहीं आता तो कभी कभी डीएसएलआर से अच्‍छी फोटो नहीं खीचीं जा सकती।  अगर यूजर कंट्रोल के ऊपर बात करें साधारण तौर पर डिजिटल और डीएसएलआर कैमरे में रेज्‍यूल्यूशन, एक्सपोजर, मैक्रो मोड, फ्लैश के अलावा व्‍हाइट बैलेंस और सीन मोड फंक्‍शन होते हैं जिन्‍हें आप मैन्‍यूअली सेट कर सकते हैं। लेकिन ज्‍यादातर लोग डीएसएलआर कैमरा खरीद तो लेते हैं लेकिन लेंस को जूम इन और जूम आउट करने क अलावा वे ज्‍यादा कुछ फीचर नहीं यूज कर पाते। यूजर कंट्रोल फोटो लेने से पहले कई सेटिंग्स की जाती हैं, जैसे रेजॉल्यूशन, मैक्रो मोड, फ्लैश, एक्सपोजर। आमतौर पर फोटोग्राफी की शुरुआत करते वक्त ये सब चीजें बहुत टेक्निकल लगती हैं और समझ में नहीं आतीं। अगर आप अपना पहला डिजिटल कैमरा खरीद रहे हैं, तो वह ऐसा हो जिसमें ये सारे कंट्रोल काफी आसान हों और ज्यादा सिर खपाई न

professional camera

  प्रोफेशन कैमरा कैसा ले  स्‍कूल और कालेज के दिनों को ताउम्र अपने पास संजो कर रखने के लिए फोटो से बेहतर कोई और विकल्‍प नहीं हो सकता। एक तरह से हमे महान वैज्ञानिक अल्हाजेन का तहे दिल से धन्‍यवाद करना चाहिए जिन्‍हों 1000 साल पहले इस नायाब मशीन यानी कैमरे को बनाया था। जो समय के साथ साथा बदलता गया जो अब डीएसएलआर कैमरों का रूप ले चुका है। अगर आपको याद हो तो हम पहले रील वाले कैमरों का प्रयोग करते थे लेकिन अब उन्‍हीं की जगह डिजिटल कैमरों ने ले ली है जिसमें एलसीडी स्‍क्रीन के साथ बेहतर फोटों लेंस होता है। क्‍या अंतर है डिजिटल कैमरे में और डीएसएलआर कैमरे में काफी लोगों को डिजिटल और डीएसएलआर कैमरें के बीच दिए गए अंतर के बारे में ज्‍यादा नहीं मालूम होता। अगर आप उनसे पूछें डीएसएलआर कैमरा क्‍यों लेना चाहते तो सीधा सा जवाब होगा। लेंस बदल सकते हैं, ज्‍यादा मेगापिक्‍सल है, देखने में अच्‍छा है। लेकिन किसी भी कैमरें को लेने से पहले ये सभी बातें मायने तो रखती हैं लेकिन इनके अलावा भी काफी ऐसी चीजें हैं जो हमें ध्‍यान में रखना चाहिए। अब फरारी तो सभी को अच्‍छी लगती है ले

camera ki jankari

कैमरा  कैमरा एक प्रकाशीय युक्ति है जिसकी सहायता से कोई स्थिर छवि(फोटोग्राफ) या चलचित्र (मूवी या विडियो) खींचा जा सकता है। चलचित्वस्तुतः किसी परिवर्तनशील या चलायमान वस्तु के बहुत छोटे  समयान्तरालों पर खींची गयी बहुत से छवियों का एक क्रमिसमूहहोताहै। कैमरा शब्द लैटिन के कैमरा ऑब्स्क्योरा से आया है जिसका अर्थ अंधेरा कक्ष होता है। ध्यान रखने योग्य है कि सबसे पहले फोटो लेने के लिये एक पूरे कमरे का प्रयोग होता था, जो अंधकारमय होता था। कैमरा ऑब्स्क्योरा कैमरा सबसे पहले कैमरा ऑब्स्क्योरा के रूप में आया। इसका आविष्कार ईराकी वैज्ञानिक इब्न-अल-हज़ैन (१०१५-१०२१) ने की। इसके बाद अंग्रेज वैज्ञानिक राबर्ट बॉयल एवं उनके सहायक राबर्ट हुक ने सन १६६० के दशक में एक सुवाह्य (पोर्टेबल) कैमरा विकसित किया। सन १६८५ में जोहन जान (Johann Zahn) ने ऐसा कैमरा विकसित किया जो सुवाह्य था और तस्वीर खींचने के लिये व्यावहारिक था। विविध प्रकार के कैमरे १-डिजिटल  कैमेरा  २-प्रोफेसनल कैमरा  ३-होममेड  कैमरा  इतिहास आज के दौर में फोटो खींचना कितन

घडी की साकार होती दुनिया

घडी  की दुनिआ  अधिकतर घड़ियों में नियमित रूप से आवर्तक (recurring) क्रियाएँ उत्पन्न करने की स्वयंचालित व्यवस्था होती है, जैसे लोलक का दोलन, सर्पिल कमानियों (spiral springs) तथा संतुलन चक्रों (balance wheels) को दोलन, दाबविद्युत् मणिभों (piezo-electric crystals) का दोलन, अथवा उच्च आवृत्तिवाले संकेतों की परमाणुओं की मूलअवस्था की अतिसूक्ष्म संरचना (hyperfine structure) से तुलना इत्यादि। प्राचीन काल में धूप के कारण पड़नेवाली किसी वृक्ष अथवा अन्य स्थिर वस्तु की छाया के द्वारा समय के अनुमान किया जाता था।  ऐसी धूपधड़ियों का प्रचलन अत्यंत प्राचीन काल से होता आ रहा है जिनमें आकाश में सूर्य के भ्रमण के करण किसी पत्थर या लोहे के स्थिर टुकड़े की परछाई की गति में होनेवाले परिवर्तन के द्वारा "घड़ी" या "प्रहर" का अनुमान किया जाता था। बदली के दिनों में, अथवा रात में, समय जानने के लिय जल घड़ी का आविष्कार चीन देशवासियों ने लगभग तीन हजार वर्ष पहले किया था। कालांतर में यह विधि मिस्रियों, यूनानियों एवं रोमनों को भी ज्ञात हुई। जलघड़ी में दो पात्रों का प्रयोग होता था। एक प

फैन कैसा ले

                                   फैन  गर्मी में  हमेशा  फैन  लेने के लिए  कुछ बातो का  ध्यान रखे। गर्मी में हमेशा फैन चार पर  वाला लेना चाहिए जो तेज गति से चलना  चाहिए  और अच्छी  रफ़्तार  का  होना चाहिए।  और अच्छी  कंपनी   का  होना  चाहिए   जो  लम्बे  समाये  तक   चले।   उसे  खुद  ही  बार बार   साफ करे  और  कुछ  समय  पर  रेपर  करवाते   रहे। फेन यानी पंखों की केटेगरी में पिछले 8-10 सालों में काफी परिवर्तन आया है। इसकी कीमत, डिजाइन, फंक्शनैलिटी सभी में समय दर समय बदलाव आए। पंखों की औसत कीमतों में वृद्धि हुई है। पंखों को घर की सजावट में एक जरूरी हिस्से के रूप में बताते हुए अमित सेठी, वाइस प्रेसिडेंट एंड कंट्री हेड- मार्केटिंग (कंज्यूमर प्रॉडक्ट ग्रुप), बजाज इलेक्ट्रिकल्स लिमि., ने एक लिस्ट तैयार की है, जिसे पंखे को खरीदने से पहले ध्यान से पढ़ा जाना चाहिए , फैन यानी पंखों की केटेगरी में पिछले 8-10 सालों में काफी परिवर्तन आया है। इसकी कीमत, डिजाइन, फंक्शनैलिटी सभी में समय दर समय बदलाव आए। पंखों की औसत कीमतों में वृद्धि हुई है। पंखों को घर की सजावट में एक जरूरी हिस