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स्मार्टफोन और android मोबाइल software


                                                      स्मार्टफोन

इस बात को कोई नहीं नकार सकता कि हमें स्मार्टफोन की लत पड़ चुकी है। हकीकत तो ये है कि आज की तारीख में ये हमारी जरूरत बन गए हैं। फोन कॉल और मैसेज तो बेहद ही बेसिक जरूरतें हैं, अब बात म्यूजिक, वीडियो और कैमरे को लेकर होती है। समझदार यूजर्स फोन के रैम, प्रोसेसर और स्क्रीन रिज़ॉल्यूशन जैसी तकनीकी चीजों की भी जानकारी चाहते हैं।



वाकई में आपके स्मार्टफोन का काम क्या है? नाम से ही साफ है, फोन जो स्मार्ट वर्क करे। आम फीचर्स तो ठीक हैं, अब वेब ब्राउजिंग, जीपीएस नेविगेशन और एक्टिविटी ट्रैकिंग जैसे कई हाईटेक फीचर्स सिर्फ एक ही डिवाइस में होने की उम्मीद की जाती है।


अगर आपको लगता है कि पहले फोन खरीदना आसान काम था तो आप भ्रम में हैं, यह पहले भी मुश्किल था और आज की तारीख में और भी। इसकी मुख्य वजहें हैं- टेक्नोलॉजी और ढेरों विकल्प।  अगर आप नया स्मार्टफोन खरीदने का मन बना रहे हैं तो ये सुझाव आपके काम के हैं। आप चाहते क्या हो?
स्मार्टफोन खरीदने के पहले एक अहम बात गांठ बांध लें, जैसी जरूरत वैसा फोन। आप वही प्रोडक्ट खरीदें जो आपके यूज के हिसाब से हो। दिखावे के चक्कर में बिल्कुल ना फंसें। और अपने दोस्तों को नकल करने से तो बिल्कुल बचें। क्योंकि फोन बेहद ही निजी होता है। इस्तेमाल आपको करना है। इसके अलावा यह एक तरह का निवेश भी है, यानी एक गलत फैसला और आपका पैसा डूबा। कैमरा, प्रोसेसर, रैम, बैटरी और ब्रांड जैसे पैमानों को ध्यान में रखकर आप अपने नए फोन को चुनें, और सबसे अहम है बजट।



बजट
सुविधा और पैसे का अनोखा कनेक्शन है। स्मार्टफोन के साथ भी ऐसा ही है, जितना ज्यादा पैसा लगाएंगे उतना बेहतर फोन पाएंगे। लेकिन अहम सवाल यह है कि आपका बजट क्या है? आधिकारिक तौर पर कोई प्राइस सेगमेंट तो तय नहीं है, पर हमने आपके लिए इसको आसान बनाने की कोशिश की है।

इस्तेमाल करने लायक सस्ते स्मार्टफोन 5,000 से 10,000 रुपये के रेंज में आ जाते हैं। 10,000 से 15,000 रुपये के बीच कई अहम फीचर्स से लैस एक मॉडर्न स्मार्टफोन आपका हो सकता है। 15,000 से 30,000 रुपये को मिड रेंज सेगमेंट माना जाता हैं। हालांकि, इस रेंज में प्रोडक्ट्स के फीचर्स में काफी अंतर देखने को मिलता है जो अलग-अलग ब्रांड पर निर्भर करता है। 30,000 रुपये के ऊपर आपको हाईएंड स्मार्टफोन मिलने लगते हैं जिनमें फ्लैगशिप-लेवल डिवाइस भी शामिल हैं। कुछ फ्लैगशिप हैंडसेट और अनोखे हाई-एंड फीचर्स वाले मोबाइल 40,000 से 65,000 रुपये के बीच में भी मिलते हैं।

ब्रांड
स्मार्टफोन खरीदने से पहले ब्रांड चुनना एक अहम कदम है, क्योंकि इस पर कई बातें निर्भर करती हैं। नामी ब्रांड्स के साथ सॉफ्टवेयर अपडेट और कस्टमर सपोर्ट सर्विसेज का भरोसा रहता है। शायद यही वजह है कि ज्यादातर यूज़र्स बड़े ब्रांड के साथ जाना पसंद करते हैं। सबसे पहले तो इन ब्रांड के प्रोडक्ट्स मार्केट में आसानी से उपलब्ध होते हैं। ई-कॉमर्स वेबसाइट हो या फिर रिटेल मार्केट, आप दोनों ही जगहों से अपनी सुविधानुसार खरीददारी कर सकते हैं। आज की तारीख में मार्केट में कई कंपनियां हैं। सैमसंग, ऐप्पल, सोनी और माइक्रोमैक्स जैसे ब्रांड्स के नाम तो आपने पहले भी सुने होंगे। लेकिन कई विदेशी कंपनियों के आ जाने के बाद कस्टमर्स के लिए विकल्प और भी ज्यादा हो गए हैं। ऐसे में सबसे अहम बात यह हो जाती है कि आप जिस ब्रांड का फोन ले रहे हैं, क्या आपके शहर में उसका कस्टमर केयर सेंटर है। इसके अलावा उस ब्रांड के पुराने यूज़र्स का फीडबैक क्या है?



ऑपरेटिंग सिस्टम
गूगल का एंड्रॉयड, ऐप्पल का आईओएस, माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज मोबाइल और ब्लैकबेरी ओएस 10, आपके के लिए विकल्प कई हैं। हर ऑपरेटिंग सिस्टम में कई खासियतें हैं तो कुछ कमियां भीं। भारत में एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म सुपरहिट है और इसका मार्केट शेयर भी सबसे ज्यादा है। और ओपन-सोर्स नेचर होने के कारण कई मोबाइल ब्रांड इसी ऑपरेटिंग सिस्टम पर फोन बना रहे हैं।

आईओएस और एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म के लिए सबसे ज्यादा थर्ड-पार्टी ऐप्स उपलब्ध हैं। पर आईओएस बेस्ड आईफोन की कीमत ज्यादा होने के कारण यह हर किसी के पॉकेट में फिट नहीं बैठता। वहीं, एंड्रॉयड बेस्ड स्मार्टफोन हर प्राइस सेगमेंट में मिल जाते हैं। आपका मन इन दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम से भर गया है तो आप माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज मोबाइल इस्तेमाल कर सकते हैं। परफॉर्मेंस के मामले में इस प्रोडक्ट की मार्केट रिपोर्ट भी पॉजिटिव रही है। हालांकि, विंडोज मोबाइल पर आईओएस या एंड्रॉयड की तुलना में थर्ड-पार्टी ऐप्स कम हैं। इन सबके अलावा फोन खरीदने से पहले यह जरूर जांच लें कि आपको मिलने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम का वर्ज़न क्या है।

आप कभी नहीं चाहेंगे कि आपका डिवाइस एंड्रॉयड या विंडोज मोबाइल के पुराने वर्ज़न पर काम करे। जैसे कि ऐप्पल ने आईफोन 4एस और उसके बाद के वर्ज़न के लिए लेटेस्ट आईओएस 9 रिलीज कर दिया है। हालांकि, हम यह भी नहीं चाहेंगे कि आप आईफोन 4एस खरीदें। वहीं, गूगल का लेटेस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड 6.0 मार्शमैलो है, लेकिन हैंडसेट में 5.0 लॉलीपॉप या फिर उसके बाद के किसी भी वर्ज़न से काम चल जाएगा।

रैम और प्रोसेसर
किसी भी स्मार्टफोन की स्पीड और उसमें मल्टी-टास्किंग का लेवल प्रोसेसर और रैम पर निर्भर करता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि हर ऑपरेटिंग सिस्टम की हार्डवेयर जरूरतें अलग होती हैं। जैसे कि विंडोज फोन के लेटेस्ट वर्ज़न में एंड्रॉयड के लेटेस्ट वर्ज़न से कम प्रोसेसर स्पीड और रैम की जरूरत पड़ती है।

एंड्रॉयड वर्ल्ड में प्रोसेसर की परफॉर्मेंस का अनुमान आमतौर पर कोर से लगाया जाता है। एंड्रॉयड फोन के प्रोसेसर में जितने ज्यादा कोर होंगे परफॉर्मेंस उतनी बेहतर होने की संभावना है। ज्यादा कोर होंगे तो उनकी मदद से मल्टीटास्किंग और भी आसान हो जाएगी, साथ में उपयुक्त रैम भी होना चाहिए। कोर की ज़रूरत को इस तरह से समझिए कि आप एक वक्त पर अपने मोबाइल पर गेम खेल रहे हैं, गाना सुन रहे हैं और बैकग्राउंड में डाउनलोड भी चल रहा है। सिंगल कोर प्रोसेसर के लिए इतने सारे काम को एक साथ निपटाना बेहद ही मुश्किल है। ऐसे में काम आता है मल्टी कोर। इस तरह से देखा जाए तो डुअल कोर हमेशा सिंगल कोर से बेहतर होगा, ऐसा हम एंड्रॉयड के लिए तो कह ही सकते हैं। हम सिर्फ कोर के आधार पर यह बिल्कुल तय नहीं कर सकते कि फोन की परफॉर्मेंस कैसी होगी। अब ऐप्पल को ही ले लीजिए, इसके लेटेस्ट आईफोन 6एस और 6एस प्लस हैंडसेट डुअल कोर प्रोसेसर के साथ आते हैं और परफॉर्मेंस के मामले में ये किसी हाई-एंड एंड्रॉयड डिवाइस से कम नहीं।



मार्केट में तरह-तरह के प्रोसेसर उपलब्ध हैं। स्नैपड्रैगन, एनवीडिया, क्वालकॉम, इंटेल और मीडियाटेक, उनमें से कुछ हैं। हर प्रोसेसर के अपने फायदें हैं तो कुछ नुकसान भी। मीडियाटेक और क्वालकॉम के प्रोसेसर ठीक काम करते हैं। वैसे, कुछ डिवाइस इंटेल और एनवीडिया के प्रोसेसर के साथ भी आ रहे हैं। आप इनमें से किसी को भी चुन सकते हैं।

किसी और कंम्प्यूटिंग डिवाइस की तरह स्मार्टफोन को प्रोग्राम एग्जीक्यूट करने के लिए रैंडम एक्सेस मैमोरी (रैम) की जरूरत होती है। फोन की परफॉर्मेंस बहुत हद तक रैम पर निर्भर करती है। आज की तारीख में स्मार्टफोन में जिस तरह के फीचर्स आ रहे हैं, उसके लिए 1 जीबी का रैम बेहद जरूरी है। अगर आपके फोन में इससे ज्यादा रैम है तो और भी अच्छी बात। अगर आपको अपने फोन से अल्ट्रा स्मूथ परफॉर्मेंस चाहिए तो 1.5 जीबी या उससे ज्यादा रैम वाला फोन ही खरीदें।

स्क्रीन
किसी मोबाइल फोन की स्क्रीन साइज को डायगोनली नापा जाता है। आज की तारीख में ज्यादातर स्मार्टफोन 4 से 6.5 इंच की स्क्रीन साइज़ के होते हैं। 4-5 इंच स्क्रीन वाले स्मार्टफोन को बेहतर माना जाता है, इसे हाथों में रखना भी बेहद ही कंफर्टेबल होता है। हालांकि, यह आप पर निर्भर करेगा कि आप कैसा स्क्रीन चाहते हैं। अगर आप छोटे स्क्रीन के आदी हैं तो 4-5 इंच का डिस्प्ले आपके लिए ठीक है। कुछ लोगों को ज्यादा बड़े डिस्प्ले पसंद आते हैं, उनके लिए भी मार्केट में कई विकल्प मौजूद हैं।
इसके अलावा रिज़ॉल्यूशन भी एक अहम फैक्टर होता है। रिज़ॉल्यूशन को सीधे शब्दों में समझा जाए तो आपके स्मार्टफोन के स्क्रीन पर दिखने वाले इमेज की क्वालिटी इससे से निर्धारित होती है। स्क्रीन की साइज को लेकर कई यूज़र कंन्फ्यूज हो सकते हैं, पर रिज़ॉल्यूशन के मामले में स्थिति स्पष्ट है। जितना ज्यादा रिज़ॉल्यूशन, उतना बेहतर। अगर आप 4.5-5 इंच डिस्प्ले वाला डिवाइस ले रहे हैं तो इसका रिज़ॉल्यूशन कम से कम 720 पिक्सल होना ही चाहिए। 5 इंच से ज्यादा बड़े डिस्प्ले वाले हैंडसेट की ज़रूरत फुल-एचडी रिज़ॉल्यूशन (1020 पिक्सल) की होती है, संभव है कि यह कम होने पर मोबाइल यूज़ करने का अनुभव शानदार ना रहे। इस बात का भी ध्यान रहे कि रिज़ॉल्यूशन का सीधा असर बैटरी लाइफ पर भी पड़ता है। ज्यादा रिज़ॉल्यूशन वाले स्क्रीन में बैटरी की खपत ज्यादा होती है।

बैटरी
किसी भी स्मार्टफोन यूज़र के लिए बैटरी लाइफ सबसे अहम प्रॉपर्टी है। इन दिनों फोन रीमूवेबल और नॉन-रीमूवेबल बैटरी के साथ आते हैं। जिन स्मार्टफोन में नॉन-रीमूवेबल बैटरी का इस्तेमाल होता है वो ज्यादा स्लीक होते हैं। नॉन-रीमूवेबल बैटरी के साथ कुछ और भी फायदे हैं, बैक कवर ज्यादा सिक्योर होते हैं और फोन में पानी के घुसने और डैमेज होने की संभावना भी कम हो जाती है। पर ऐसा बिल्कुल नहीं है कि ये पूरी तरह से वाटरप्रूफ हो जाते हैं। कुछ यूज़र रीमूवेबल बैटरी को फायदेमंद मानते हैं, क्योंकि वे अतिरिक्त बैटरी साथ रखना पसंद करते हैं। पहली बैटरी खत्म हो जाने पर। उसे बदलकर दूसरी का इस्तेमाल कर लेते हैं। लेकिन अब जब मार्केट में पावरबैंक उपलब्ध हैं तो अलग से बैटरी लेकर चलने का कोई तुक नहीं बनता है। बैटरी की साइज भी अहम हो जाती है।

जितनी ज्यादा बड़ी बैटरी, स्मार्टफोन के रनिंग टाइम बढ़ने की उम्मीद उतनी ज्यादा होती है। हालांकि, हम पहले भी कई बार कह चुके हैं कि सिर्फ ज्यादा एमएएच की बैटरी होने से स्मार्टफोन की बैटरी लाइफ बेहतर नहीं हो जाती। इसके बारे में ज्यादा विस्तार से हमारे रिव्यू में पढ़ सकते हैं। बैटरी साइज बढ़ने के कारण स्मार्टफोन का वजन भी बढ़ जाता है। फोन खरीदने से पहले उसके टॉक टाइम और स्टैंडबाय टाइम के बारे में भी जान लें।

कैमरा
अगर स्मार्टफोन खरीदने के पीछे अच्छा कैमरा भी मकसद है तो रिज़ॉल्यूशन, रियर कैमरा, फ्रंट कैमरा, एलईडी फ्लैश, ऑटोफोकस और वीडियो रिकॉर्डिंग के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लें। 5 मेगापिक्सल का रियर कैमरा तो आज की तारीख में बेसिक फ़ीचर माना जाता है, इससे नीचे के कैमरे तो फोटोग्राफी के लिए बिल्कुल ही बेकार हैं। अगर आपको सेल्फी लेना का शौक है या वीडियो चैटिंग भी करते हैं तो फ्रंट कैमरे के बारे में भी रिसर्च कर लें। अच्छी सेल्फी के लिए आपको कम से कम 5 मेगापिक्सल के फ्रंट कैमरे की जरूरत पड़ेगी, लेकिन 2 मेगापिक्सल से भी काम चल जाएगा। साफ कर दें कि सिर्फ मेगापिक्सल देखकर स्मार्टफोन के कैमरे की परफॉर्मेंस को आंकने की गलती ना करें। कई बार ऐसा होता है कि 21 मेगापिक्सल का कैमरा 13 मेगापिक्सल के सेंसर की तुलना में कमज़ोर तस्वीरें ले। डिवाइस खरीदने से पहले उसके रिव्यू को पढ़ें, खासकर कैमरे की परफॉर्मेंस को। रिव्यू के लिए आपका भरोसेमंद साथी गैजेट्स 360 है ना। कम लाइट में फोटोग्राफी के लिए एलईडी फ्लैश बेहद जरूरी हैं और फोन में डुअल एलईडी फ्लैश हो तो सोने पर सुहागा। अगर आप फटाफट फोटो खींचना चाहते हैं तो बर्स्ट मोड अहम हो जाता है। यह फीचर आपको चंद सेकेंड में कई फोटो खींचने में मदद करता है। आपने देखा होगा कि अक्सर हाथ हिलने के कारण फोटो ब्लर हो जाते हैं, ऐसे में काम आता है इमेज स्टेबलाइजेशन। हालांकि, इस फ़ीचर के होने का यह मतलब नहीं कि आप हाथ हिलाते रहेंगे और फोटो अच्छी आ जाएगी। यह फ़ीचर हल्के से मूवमेंट पर स्थिर तस्वीरें लेने में मदद करता है। नए डिवाइस आपको वीडियो के साथ साउंड बाइट भी रिकॉर्ड करने की भी सुविधा देते हैं। ज्यादातर स्मार्टफोन में वीडियो रिकॉर्डिंग फीचर होता है। अगर आप हाई क्वालिटी रिकॉर्डिंग की मंशा रखते हैं तो कम से कम 720 पिक्सल (एचडी) रिकॉर्डिंग कैपिसिटी वाले कैमरे की जरूरत पड़ेगी।



                      नए  फ़ोन  के   सॉफ्टवेयर  की  जानकारी 
                                       
आज कल के ज़माने में लगभग हर आदमी के पास मोबाइल रहता है और हर आदमी के पास अपना कंप्यूटर रहता है| यदि आपके मोबाइल में कभी software उड़ जाये तो आप अपने आप अपने मोबाइल का software अपलोड कर सकते है| इसके लिए आपको महज कुछ चीजों को की आवश्यकता होगी|ऐसा एक मोबाइल मेरे दोस्त का था| उस मोबाइल में परेशानी ये थी की वो मोबाइल अपने आप switch off और अपने आप switch on हो जाता था|तब हमने मोबाइल को एक दुकान पर दिखाया तब पता चला की मोबाइल का software बिगड़ गया है और 150 रुपया लगेगा| तब मैंने सोचा की क्यों न मोबाइल में अपने आप ही software डाल दू|



तब मैंने घर लाकर software डालने की कोसिस की| आज मै उस एक्स्प्रिएंस को आप सब के सामने शेयर करने जा रहा हु| आज कल के ज़माने में यदि आपके पास कंप्यूटर आ गया है तो आप हर चीज़ कर सकते है| software को मोबाइल में डालना कोई बड़ी बात नही है बस थोड़ी सी चीज़ का ध्यान देना होगा| आओ जानते है की आपकी android मोबाइल में आप अपने मोबाइल में software लोड कैसे करे|android मोबाइल में software लोड करने का तरीका:- यदि आपने android मोबाइल का software ud गया है और आपकी मोबाइल switch on नही हो रही है तो आपको चिंता करने की ज़रूरत नही है क्युकी आज मै आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहा हु जिसके ज़रिये आप अपने मोबाइल में खुद ही software डाउनलोड कर सकते हो| मोबाइल में software डालने के लिए कुछ चीजों की आवश्यकता होती है जिसकी मदद से आपने मोबाइल में software आसानी से दाल सकते है| आओ हम जानते है की सबसे ज़रूरी चीज़ क्या software डालने के लिए|

android मोबाइल में software लोड करने के लिए ज़रूरी चीज़े
android मोबाइल में software डालने के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है laptop या computer जिसकी मदद से आप अपने मोबाइल में software डालेगा|
अब दूसरी सबसे ज़रूरी चीज़ है आपके मोबाइल सेट के model no का stoke ROM FIRMWARE flash file
तीसरी जो की सबसे ज़रूरी चीज़ है USB DRIVER for android
flash tools file
Usb cable
mobile में software डालने का step by step पूरी जानकारी
अब मै आपको android मोबाइल में software डालने का तरीका बताने जा रहा हु| यदि आप नीचे दिए गये step को अक्षरशः पालन करोगे तो आप निश्चित ही आपने मोबाइल में software डालने में सफल होंगे| कभी -2 ऐसा होता है की हम तरीका मालूम होता है लेकिन उसको सही ढंग से न कर पाने के कारण हम काम कर पाने सफल नही हो पाते है| इसीलिए आज मै आपको मोबाइल में software डालने का step by step तरीका बताने जा रहा हु| नीचे दिए हुए step को ठीक से फॉलो करे और अपने मोबाइल में software डाले|मोबाइल में software डालने का तरीका:- सबसे पहले आपको गूगल पर सर्च करने करके अपने मोबाइल के model no का stoke rom firmware flash file को डाउनलोड करे|
अब अपने laptop में usb डाउनलोड करके अपने laptop में install करे|
अब अपने laptop में flash tools डाउनलोड कर ले और install कर ले|
अब आपने अपने मोबाइल में software डालने के लिए सभी चीज़े डाउनलोड कर ली| अब आगे आपको कुछ चीज़े और करनी होगी जिसका जिक्र नीचे कर रहा हु| आओ जानते है की android मोबाइल software कैसे डाले|
आपने जो stoke rom firmware flash file को डाउनलोड किया है उसको zip file को unzip file में करके न्यू folder में डाले दे|
usb driver को अपने computer में install कर ले|
अब flash tools को extract करके EXE file में open करे|open करके download की बटन पर क्लिक कर ले|
जब तीनो file का काम कम्पलीट कर ले तो नीचे दिए स्टेप्स को फॉलो करे| अब नीचे दिया गया step last step है| इसे successfully करने के बाद आपके मोबाइल में software पद जायेगा|




अब अपने मोबाइल को सबसे अलग करके अंपने मोबाइल को usb की सहायता से अपने computer से कनेक्ट कर ले| आपने जो flash tools में डाउनलोड किया था उसका नाम scatter था|अब scatter को ढूढे और उसपे क्लिक करे| जब आपके computer में scatter खुल जाये तो तुरंत ही आपको next बटन पर दो बार क्लिक करना होगा|जैसे ही आप step कम्पलीट कर लेंगे तुरंत ही आप stoke rom के अन्दर पहुच जायेगा|
अब stoke rom में पहुचने के बाद आपको process to continue पर क्लिक करना होगा|जैसे ही आप process to continue पर क्लिक karenge उसके तुरंत बाद आपको ग्रीन रंग का symbol दिखाई देगा और software install होना स्टार्ट हो जायेगा|  जब process 100% कम्पलीट हो जायेगा तो इसका मतलब आपने अपने मोबाइल में software आसानी से लोड कर दिया है|
अब अपने मोबाइल को usb से अलग करके switch on करे| यदि switch on हो जाये तो इसका मतलब आपने अपने मोबाइल में software डाउनलोड कर लिया|





और  जानकरी  के लिए बने रहे।






                           

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